'जन गण मन' सबसे पहले 1905 मे बांग्ला भाषा मे लिखा गया था. इसे रविंद्र नाथ टैगोर ने लिखा था. वही रविंद्र नाथ टैगोर, जिन्हे बाद मे साहित्य के नोबॉल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया. 'जन गण मन ' को पहली बार 27 दिसम्बर,1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन मे गाया गया था. उस समय इसकी लोकप्रियता अधिक नहीं थी.
1917 मे उन्होंने राष्ट्रगान को संगीत के सात सुरों मे बांधा. जल्द ही 'जन गण मन' भारत के लोगो की आवाज़ बन गया. इसके बाद तो इसे एक भजन की तरह गाया जाने लगा. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशनो की शुरुआत इसी के गायन से की जाने लगी.
आजादी के बाद तिरंगा भारत का राष्ट्रीय ध्वज बन गया. 'जन गण मन' को भारत का राष्ट्रगान 24 जनवरी 1950 को स्वीकार किया. इससे जुडी एक रोचक बात और हैं. जन गन मन के अलावा 'वन्दे मातरम' को भी राष्ट्रगान बनाने की मांग उठी लेकिन उसे राष्ट्रगीत बनाया गया. ज़ब भारत गणतंत्र बना तो संसद मे हुए एक समारोह मे तब के राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने घोषणा की कि 'जन गण मन' का पहला छंद भारत का राष्ट्रगान होगा.
राष्ट्रगान मे देश के अलग अलग राज्यों, पर्वतो, और नदियों का जिक्र किया गया हैं और उनकी विशेषताओं के बारे मे भी बताया गया हैं.
राष्ट्रगान को सावधान मुद्रा मे खडे होकर गाए जाने का नियम हैं. उस समय बातचीत करना मना हैं. ऐसा राष्ट्रगान को आदर देने के लिए किया जाता हैं. अगर तुम्हे कही भी राष्ट्रगान बजता हुआ सुनाई दे, तो अपनी जगह पर सावधान कि मुद्रा मे खडे होकर उसके प्रति समानं देना चाहिए.
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Shivam Saini
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